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आठनेर जनपद में नवीन ग्राम सभाओं का गठन, अधिसूचना जारी

पेसा एक्ट के तहत ऐतिहासिक कदम

पेसा एक्ट के तहत ऐतिहासिक कदमपैसा एक्ट के तहत ऐतिहासिक कदम

आठनेर जनपद में नवीन ग्राम सभाओं का गठन, अधिसूचना जारी

जनजातीय क्षेत्रों में पंचायत राज के सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

बैतूल। पेसा (पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) एक्ट 1996 के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्रों के सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, आठनेर जनपद पंचायत के तहत 6 नई ग्राम सभाओं का गठन किया गया है। यह अधिसूचना अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) विहित अधिकारी उपखंड भैसदेही द्वारा दिनांक 13 जून 2024 को जारी की गई है।

नवीन ग्राम सभाओं का गठन ग्राम पिपलदरी, बड़ा बेलकुण्ड, डंगरापाटा, शेरीढाना, पात्ररा (पटेल ढाना), और गडराढाना में किया गया है। यह कदम पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 129 ख की उपधारा (2) एवं मध्यप्रदेश अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम सभा (गठन सम्मिलन प्रक्रिया तथा कार्य संचालन) नियम, 1998 के नियम 5 के उपनियम (1) के तहत उठाया गया है। इस अधिसूचना के जारी होने के साथ ही आगामी माह की प्रथम तारीख से इन ग्राम सभाओं का अस्तित्व में आना सुनिश्चित किया गया है। यह पहल जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासन को बढ़ावा देने और पंचायत राज को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से की गई है।

— पेसा एक्ट के तहत जनजातीय स्वशासन को मिलेगा बढ़ावा–

पेसा एक्ट 1996 का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदायों को उनके परंपरागत संसाधनों पर नियंत्रण और प्रबंधन का अधिकार प्रदान करना है। इस अधिनियम के तहत नवीन ग्राम सभाओं का गठन, जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण और उनकी आवाज़ को ग्राम स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पेसा ब्लॉक समन्वयक शिव शंकर देवहंस ने इस अवसर पर कहा, नवीन ग्राम सभाओं के गठन से स्थानीय समुदायों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक सहभागिता और पारदर्शिता मिलेगी। यह कदम जनजातीय क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

— ग्रामीणों को मिलेगी स्वायत्तता–

आठनेर जनपद पंचायत के तहत नवीन ग्राम सभाओं का गठन पेसा एक्ट के तहत एक महत्वपूर्ण कदम है, जो जनजातीय क्षेत्रों में पंचायत राज को मजबूत करने और स्वशासन को बढ़ावा देने की दिशा में एक नया आयाम प्रस्तुत करता है। इस पहल से ग्रामीणों को स्वायत्तता मिलेगी और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे जनजातीय स्वशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बताया है।

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